लालची नौकर साजिद की कहानी | Lalchi Naukar Sajid ki kahani
एक वक्त की बात थी जब नौकर साजिद एक गांव में काम कर रहा था | जहां पर मालिक समीर और उसकी पत्नी राबिया नाम के दो लोग रहते थे, उनको एक बेटा था पर नौकरी शहर में होने के कारण वह अपने माता-पिता के पास नहीं रह सकता था। एक दिन बेटा रब्बानी बोला मां-पिताजी तुम भी मेरे साथ शहर चलो ना, हम वही साथ में रहेंगे इस पर समीर बोले नहीं बेटा हम नहीं चलेंगे, मुझे यह खूब सूरत गांव छोड़ कर कहीं नहीं जाना, यही हमारे सब रिश्तेदार हैं और यही हम रहेंगे।
इस पर रब्बानी बोला पर आप मेरे साथ चलते तो अच्छा होता। तब समीर बोले बेटा तुम हमारी फिक्र मत करो हम बड़े आराम से रह लेंगे और हमारे साथ हमारा नौकर साजिद भी है, जो हमारी देखभाल करेगा तुम सिर्फ अपनी नौकरी के बारे में सोचो और खुद का ख्याल रखना हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा। यह सुनते ही रब्बानी अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेकर शहर की ओर चला गया।
अब घर में रब्बानी के मां-बाप अकेले रहते थे और साथ में उनका नौकर साजिद रहता था। और साजिद घर का सारा काम करता था जैसे साफ सफाई,पानी भरना, खाना पकाना इत्यादि। साजिद कई वर्षों से उनके पास काम कर रहा था इसलिए समीर और राबिया उस पर पूरा भरोसा करते थे।साजिद उन दोनों की बड़ी सेवा करता था और फिर अपने घर चला जाता था।
घर जाने के बाद साजिद की पत्नी फोजिया कहती है के आजकल तुम्हें आने में बड़ी देर होती है| साजिद ने कहां के क्या करूं भगवान आजकल घर का काम पूरा मुझे ही करना पड़ रहा है, उनका बेटा नौकरी के लिए शहर चला गया अब दोनों बेचारे अकेले हैं। इस पर साजिद की पत्नी ने झट से बोली अकेले मतलब बिल्कुल अकेली, साजिद बोला जी हां सच में अकेले हैं। साजिद की पत्नी आगे बोली, अगर वह अकेले हैं तो कुछ अच्छे अच्छे पकवान बनवाकर लाओ उन्हें क्या पता चलेगा बहुत दिन हो गए अच्छा खाना खाए |
इस पर साजिद बोला, ठीक है भगवान कल जरूर लाता हूं और अगले दिन साजिद काम पर गय | घर का काम
किया और अंत में अपनी पत्नी के लिए चोरी छुपे अच्छे व्यंजन बनाएं और घर ले आया और अगले दिन
देखते ही देखते साजिद की पत्नी की लालच बढ़ती गई उसने खाने के अलावा घर की चीजें चुराने का उपाय दिया।
फिर एक दिन साजिद ने चुपके से चम्मच चुराया और दूसरे दिन लोटा चुराया और तीसरे दिन कोई और बर्तन और सिलसिला कुछ दिनों तक यूं ही चलता रहा। एक दिन समीर रोज के काम से, घर वापस आए और अपना लोटा ढूंढने लगे। समीर ने कहा कि साजिद अरे वह लूटा कहां रखा, समीर ने जवाब दिया मालिक यही कहीं होगा समीर ने बहुत ढूंढा उन्हें लौटा कहीं नहीं मिला अगले दिन राबिया चम्मच ढूंढ रही थी लेकिन उन्हें भी कहीं नहीं मिला।
तब राबिया ने सोचा जरूर कुछ गड़बड़ है यह सारी चीजें अपने आप कहां जा सकती हैं राबिया ने समीर से कहा,
अजी सुनते हो हमारी घर की एक एक चीज गायब हो रही है जरूर कुछ गड़बड़ है।
इस पर समीर बोले हां भगवान मेरा लोटा भी कितने दिनों से गायब है जरूर गड़बड़ है।
अगले दिन समीर बाहर जाकर 6 बिच्छू पकड़कर एक डब्बे में रख देता है|
और डब्बे को घर के अंदर ले आता है और साजिद को देखकर कहता है साजिद यह डिब्बा मेरे पलंग के
सिरहाने रख दे इसमें सोने के जेवर है कल डब्बे को बैंक ले जाकर जमा कर देना है|
आज के दिन संभालना पड़ेगा। नौकर साजिद ने वह डिब्बा लिया और समीर के पलंग के नीचे रख दिया
और अपना रोज का काम करने लगा। लेकिन काम करते समय ध्यान सिर्फ उस डिब्बे पर था।
जैसे ही दोपहर का खाना खाने के बाद समीर और राबिया सोने के लिए तैयार हुए लालची नौकर साजिद
उस डब्बे की ओर बढ़ा और उसे खोला तो उसमें से 6 बिच्छू बाहर आए यह देखकर नौकर साजिद घबरा गया और
इधर उधर दौड़ने लगा बचाओ-बचाओ बिच्छू-बिच्छू मुझे काट खाएगा बचाओ।
नौकर साजिद का शोर शराबा सुनके समीर और राबिया दोनों जाग उठे और उन्होंने बिच्छू को डब्बे में बंद कर दिया। इस पर समीर ने बोला मुझे पूरा यकीन था कि तुम चोरी कर रहे थे। मैं सिर्फ तुम्हें सबक सिखाना चाहता था। तुम्हें क्या लगा कि हम बूढ़े हो गए हैं तो हमें कुछ पता नहीं चलेगा। मैं तो पहले से ही समझ गया था कि तुम खाना लेकर जाते थे। हमने सोचा खाना ही तो है क्या फर्क पड़ता है लेकिन दिन-ब-दिन तुम्हारा लालच बढ़ता गया और तुम घर की वस्तुएं चुराने लगे शर्म आनी चाहिए तुम्हें। जिस थाली में खाते हो उसी में छेद करते हो। इस पर नौकर साजिद को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह रोने लगा। और फिर नौकर साजिद उन दोनों से माफी मांगी और वह चोरी करना छोड़ दिया| और इस तरह नौकर साजिद वापस अपने कामकाज में लग गया | और नौकर ईमानदारी से काम करने लगा और एक अच्छा इंसान बन गया| सोकर साबित को मालूम पड़ गया के लालच बुरी चीज है| और उसने बुरे काम छोड़ दिए और चोरी करना भी छोड़ दिया | इस तरह वह एक अच्छा वफादार नौकर फिर से बन गया है |
कहानी से सीख :- कहानी से हमें यहां सीखने को मिलता है कि लालच बुरी बला है हमें लालची नहीं बनना है |
और बुराई का अंजाम बुरा ही होता है| हमें बुराई को छोड़कर नेक काम करना चाहिए इसी में हमारी जिंदगी में
कामयाबी और सुकून मिलेगी|
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